यादों के झरोखे से….कैफ़ी आज़मी की पुण्यतिथि (10 मई )।

 कैफ़ी आज़मी (14 जनवरी 1919 – 10 मई 2002)

Kaifi Azmiउर्दू के अज़ीम शायर कैफ़ी आज़मी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि ।

‘ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहीं’ , इस गीत को लिखने वाले गीतकार कैफ़ी आज़मी तो इस दुनिया से चले गए लेकिन उनकी लेखनी की गूंज आज भी आज भी सिनेमा जगत और गीतप्रेमियों को उनसे जोड़े हुए है । कैफ़ी आज़मी का मूल नाम ‘अख़्तर हुसैन रिज़्वी’ था। बचपन में इन्हें कविताएँ  पढ़ने का शौक था । 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली गज़ल लिखी। इन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कई प्रसिद्ध गीत और गजलों के  बोल लिखे हैं जिनमें देशभक्ति का अमर गीत -“कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों” भी शामिल है।1974 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया।

आइये सुनते हैं —-कैफ़ी जी द्वारा लिखित एक शायरी (तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ,क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो) के बोल , जिसे फिल्म ‘अर्थ’ (1982) में ‘जगजीत सिंह’ ने गाया है । इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारा शबाना आज़मी ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी है जो कि ‘कैफ़ी आज़मी’ जी की पुत्री हैं । इस फिल्म के लिए ‘शबाना आज़मी’ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला। इस फिल्म के तीन गानों के बोल कैफ़ी जी के ही हैं—-

1.तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
2.कोई ये कैसे बताए
3.झुकी झुकी सी नज़र

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