इठलाते काले बादल, मन को हर्षाती ठंडी-ठंडी बयार और तन को भिगोती बरखा की फुहारें, ये मदमस्त माहौल सावन के संग-संग चलते हैं । चारों तरफ फैली हरियाली आँखों को सुकून देती हैं। रिमझिम बारिश की बूंदों से उल्लासित मन एहसास को शब्दों के रूप में पिरोकर खुद-बखुद गुनगुनाने लगता है । आइये सुनते हैं, श्रृंखलाबद्ध कड़ियों के रूप में सावन के गीत की तृतीय कड़ी –हरियाला सावन में रिमझिम फुहारों संग, बरखा के गीत :
सावन के गीत श्रृंखलाबद्ध कड़ियों में-चतुर्थ कड़ी – सावन (श्रावण) शुक्ल पंचमी :