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॥ देश की सुरीली धड़कन ॥

ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान को माखन और दही से अत्यधिक प्रेम था।images (3) बाल्यावस्था में वह अपने मित्रों के साथ हांडियों में से दही और माखन चुरा कर खाते थे। उनकी इसी बाल-सुलभ चंचलता को याद करते हुए जन्माष्टमी पर दही-हांड़ी प्रतियोगिता को आयोजित करने की परंपरा चल निकली। इस खेल में लड़को का एक समूह ऊचांईं पर बंधे हुए दही की मटकी को फोड़ने का प्रयास करता है जबकि, अन्य लोग उनके ऊपर पानी फेंककर उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। जो मटकी फोड़ लेता है, वह विजेता होता है। इस तरह का आयोजन पहले सिर्फ महाराष्ट्र में होता था परन्तु, अब जन्माष्टमी के अवसर पर सम्पूर्ण भारत में जगह-जगह दही-हांड़ी आयोजन होने लगा है। हिंदी सिनेमा जगत में दही-हांड़ी परंपरा पर कई गीतों को फिल्माया गया है। जन्माष्टमी के अवसर पर आइये सुनते हैं कान्हा के बंशी की धुन और बॉलीवुड का दही-हांड़ी सांग्स :

कान्हा के बंशी की धुन:

दही हांड़ी की मस्ती :

 

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