युनूस खान जी की फेसबुक वॉल से प्राप्त कंटेंट :-
हिंदी फिल्म संगीत जगत की एक बेमिसाल शख्सियत सज्जाद हुसैन का आज सौवां जन्मदिन है। उनके बेटे मुस्तफा ने मुझे फोन करके जब ये बात याद दिलायी तो लगा कि ये बात याद दिलाने जैसी नहीं होनी चाहिए थे। ये तो मुझे या संगीत के शैदाईयों को याद रहना चाहिए था। फिर आसपास के लोगों से जब बात हुई तो पता चला कि सज्जाद को लोग ज्यादा नहीं जानते। ऐसा नहीं है कि सज्जाद हुसैन का नाम लिया तो फौरन ही लोगों के ज़ेहन में उनके गाने तैर जायें।
पहले आपको ये बताते चलें कि सज्जाद कितनी कद्दावर शख्सियत हैं। लता मंगेशकर जब भी अपनी पसंदीदा संगीतकारों का जिक्र करती हैं तो सज्जाद को उसमें ज़रूर शामिल करती हैं। सज्जाद ने बहुत काम नहीं किया। बहुत चुनिंदा फिल्मों में उनका संगीत है पर संगीत के दीवाने उनकी प्रतिभा पर अश-अश करते पाए जाते हैं। मैंने इसी सप्ताह सज्जाद की याद में एक कार्यक्रम रिकॉर्ड किया। और जब इसकी तैयारी कर रहा था तो लगातार उनके गाने सुने। ख़ासतौर पर उनकी ‘रूस्तम सोहराब की क़व्वाली—‘फिर तुम्हारी याद आयी ऐ सनम’। अहा। क्या कोरस, क्या अरेबियन ट्यून। ज़ेहन पर अब तक नशा तारी है।
सज्जाद की खासियत ये थी कि वो बहुत सारे साज बजाना जानते थे। इसलिए उस ज़माने के संगीतकार पंडित हनुमान प्रसाद उन्हें ‘वन मैन ऑर्केस्ट्रा’ कहते थे। वो मूलत: मेंडोलिन बजाते थे। पर इसके अलावा सितार, वीणा, सरोद, सुरबहार, जलतरंग, वायलिन, बांसुरी, पियानो, बैंजो, क्लेरिनेट, एकॉर्डियन, हार्प जाने क्या क्या बजा लेते थे। वो इतने ज्यादा गुस्सैल और उसूलों के पक्के थे कि उनके जुमलों से गायकों के दिल टूट जाते।
सज्जाद हुसैन की शोहरत का सफर सन 1944 में फिल्म ‘दोस्त’ से शुरू हुआ था। जिसमें नूरजहां ने गाया—‘बदनाम मुहब्बत कौन करे’। फिर 1946 में उन्होंने फिल्म ‘1857’ में सुरैया और सुरेंद्र से गवाया—‘तेरी नज़र में मैं रहूं/ मेरी नज़र में तू रहे’।
सज्जाद के संगीत निर्देशन में लता ने कुछ नायाब गाने गाये। ‘काली काली रात बड़ा सताए’ फिल्म सैंयां, ‘दिल में समा गये सजन’ और ‘ऐ दिलरूबा नज़रें मिला’ फिल्म रूस्तम सोहराब, ‘आज मेरे नसीब ने’ फिल्म हलचल वग़ैरह। ‘रूस्तम सोहराब’ में उन्होंने सुरैया का एक बेमिसाल गाना भी दिया था—‘ये कैसी अजब दास्तां हो गयी है’। तलत मेहमूद का गाया फिल्म ‘संगदिल’ का गीत ‘ये हवा ये रात ये चांदनी’ उनके सबसे मशहूर गानों में से एक है। इसी फिल्म में तलत-लता का यादगार युगल गीत था—‘दिल में समा गये सजन, फूल खिले चमन-चमन’।
सज्जाद हुसैन को हमारा नमन।