लोकप्रिय गीतकार और जनकवि शैलेन्द्र का आज 30 अगस्त को जन्मदिन है।
“तू जिन्दा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर’
जनकवि शैलेन्द्र का उत्साह, उमंग और आशान्वित जीवन से भरपूर यह गीत आज भी स्वतः ही जन-जन के अन्दर हौसले का जज्बा उजागर कर देता है।
सन् 1948 में शैलेन्द्र की पहचान सशक्त कवि के साथ ही एक मजदूर नेता के रूप में भी उभर गई थी। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से शोषण, अन्याय एवं उत्पीडन के खिलाफ निर्भीकता से आवाज उठाई थी और “हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है” जैसे गीत की रचना की। उनकी कवितायेँ हजारों लोगों की आवाज बन गई थी।
हिंदी सिनेमा के कलाकार भी शैलेंद्र की लेखनी से प्रभावित थे। राजकपूर साहब तो उनकी कविताओं से अत्यधिक अभिभूत थे। उन्होंने फिल्म ‘आग’ के लिए शैलेंद्र से गीत लिखने का भी आग्रह किया लेकिन, उन्होंने राज साहब के आग्रह को ठुकरा दिया परन्तु, जब आमदनी कम होने पर जीवन की डगर कठिन हो गई, तो वे राजकपूर जी के पास गए और फिल्म ‘बरसात’ के लिए दो गीत (बरसात में हमसे मिले तुम सजन और पतली कमर) लिखा। सन् 1951 में फिल्म ‘आवारा’ के गीत–“आवारा हूँ, आवारा हूँ या गर्दिश में हूँ, आसमान का तारा हूँ” ने तो उन्हें अन्तराष्ट्रीय पटल पर चमकने वाला तारा बना दिया। यह गीत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि चीन, सोवियत संघ और अरब आदि देशों में भी अपार लोकप्रिय हुआ। इसके बाद तो हिंदी सिनेमा के गीत शैलेंद्र के कलम की स्याही से सराबोर हो गए ‘श्री 420, बूट पॉलिश, अनाड़ी और गाइड आदि अनगिनत फिल्मों को उन्होंने गीतबद्ध किया।
शैलेंद्र कवि और गीतकार के साथ ही फिल्म निर्माता भी थे सन् 1960 में उन्होंने प्रसिद्ध कथाकार ‘फणीश्वरनाथ रेणु’ की एक कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित ‘तीसरी कसम’ नाम से फिल्म का निर्माण किया। इस फिल के मुहूर्त से लेकर सिनेमाहाल तक पहुँचने में छः सालों का लंबा वक्त लगा। इसके बाद ही शैलेंद्र इस दुनिया से अलविदा हो गए ‘तीसरी कसम’ फिल्म को सर्वश्रेष्ट फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
शैलेन्द्र जी के जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि स्वरूप आइये सुनते हैं, उनके द्वारा रचित कुछ मशहूर गीत और साथ ही सुनते हैं, फिल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत:
फिल्म ‘तीसरी कसम’:-
https://www.youtube.com/watch?v=cL5cDaToxDM