USTAD BISMILLAH KHAN

शहनाई को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले उस्ताद  बिस्मिल्‍लाह खान जी का आज जन्मदिन है। उन्हें भारत रत्न,पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री जैसे सम्मान से नवाजा गया है । आज वह हमारे बीच नहीं हैं  लेकिन आज भी 26 जनवरी या 15 अगस्‍त के अवसर पर टीवी पर दिखाई देने वाले वाले कार्यक्रम की शुरुआत उन्‍हीं की शहनाई से होती है। बनारस शहर से उनका बहुत लगाव था। उन्हें बनारस की हवा में संगीत की धुन सुनाई देती थी क्योंकि  वाराणसी में शहनाई रोजमर्रा की जिंदगी का एक अभिन्न अंग रहा है। चाहे किसी बच्चे का जन्म हो छठी हो, बारहवीं हो, मुंडन, छेदन, शादी, पूजा पाठ या मंदिरों में पूजा हो, शहनाई हमेशा उससे जुड़ी ही है।  वह पैसों से संगीत को नहीं तौलते थे।   कई बार उन्होनें उन जगहों पर भी शहनाई बजाई , जहां से एक रुपया भी नहीं मिलता था। आइये सुनते हैं , प्रसिद्द  शहनाई वादक  उस्ताद  बिस्मिल्‍लाह खान जी की कर्णप्रिय शहनाई : ठुमरी – आये ना बालम हमार ।

 

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